दुनिया में पार्टिकुलेट एयर पॉल्यूशन मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। भारत में किसी व्यक्ति की उम्र कम होने के खतरों में दिल की बीमारी, ब्लड प्रेशर, तंबाकू आदि से बड़े खतरों में से भी ज्यादा घातक पीएम 2.5 से होने वाला प्रदूषण है। शिकागो यूनिवर्सिटी के एनर्जी रिसर्च पॉलिसी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कणीय प्रदूषण को अगर नियंत्रित कर लिया जाए तो लोगों की जीवन प्रत्याशा दर को 12 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। भारत के सभी 1.3 अरब लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां सूक्ष्म कणों (पीएम2.5) से होने वाला वार्षिक औसत प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश से अधिक है। 67.4 प्रतिशत आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहां प्रदूष ण का स्तर देश के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक 40 μg/m3 से अधिक है। जीवन प्रत्याशा के संदर्भ में कणीय प्रदूषण भारत में मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है, जिससे औसत भारतीय नागरिक की जीवन प्रत्याशा 5.3 वर्ष घट जाती है। इसके विपरीत, हृदय संबंधी बीमारियों से औसत भारतीय की जीवन प्रत्याशा दर लगभग 4.5 वर्ष कम हो जाती है, जबकि बाल और मातृ कुपोषण से जीवन प्रत्याशा 1.8 वर्ष घट जाती है।
In the News • August 29, 2023
दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण होने से 12 वर्ष बढ़ जाएगी लोगों की उम्र
Via Jagran